छत्तीसगढ़ में कई ऐतिहासिक कहानियां प्रसिद्ध है. जिनको सुनने के बाद हमें इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है. ऐसे ही हम आपको बताने जा रहे हैं छत्तीसगढ़ के उस ऐतिहासिक पत्थर की कहानी के बारे में जिसे छूने के बाद ये बजने लगता है.
धुन निकालने के लिए लोग सितार- गिटार सहित की चीजों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या आपने पत्थरों से धुन निकलते देखा है.
अगर आपने पत्थरों से धुन निकलते नहीं देखा है तो हम आपको बताने जा रहे हैं छत्तीसगढ़ के उस रहस्यमयी पत्थर के बारे में जिसे छूने पर गाना बजता है.
ये पत्थर छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से 20 किमी दूर छिंदकोला नामक गांव में मिलते हैं.
यहां पत्थरों का ग्रुप है. इन चट्टानों में एक ऐसा चट्टान है, जिससे अलग-अलग धातुओं की आवाजें आती है.
स्थानीय लोग इसे ठिनठिनी पत्थर कहते हैं. पर्यटक यहां दूर- दराज से आते हैं और इस चट्टान का दीदार करते हैं.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि राजा दशरथ के समय एक मुनि थे जिन्हें श्राप दिया गया था जो इस पत्थर में तब्दील हो गए थे.
यहां पर विदेशों से भी लोग आते हैं और पत्थरों से अलग- अलग धुन निकालते हैं. ग्रामीण लोग पत्थर को देवी- देवता मानकर पूजते हैं.
इसके अलावा कहा जाता है कि इस पत्थर को कई बार उठाने की कोशिश की गई लेकिन कोई इसे उठा न सका.