Water On Venus: अरबों-खरबों साल पहले, शुक्र ग्रह पर भी पृथ्वी जितना पानी मौजूद था. वैज्ञानिक यह नहीं समझ सके थे कि इस पानी के सौरमंडल में पहुंचने का क्या कारण था. अब, शायद उन्होंने इस पहेली को सुलझा लिया है.
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Water On Venus: बुध के मुकाबले सूर्य से दूर होने के बावजूद, शुक्र हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है. शुक्र की सतह का औसत तापमान लगभग 465 डिग्री सेल्सियस है. इतने अधिक तापमान के बावजूद, शुक्र को पृथ्वी का जुड़वा ग्रह कहा जाता है. यह सूर्य के 'गोल्डीलॉक्स जोन' में स्थित है. यह सूर्य के चारों तरफ एक पतला सा वर्चुअल घेरा है जहां के ग्रहों पर तरल अवस्था में पानी रह सकता है. आज से अरबों-खरबों साल पहले, शुक्र ग्रह पर भी धरती जितना ही पानी मौजूद था. जीवन के लिए पानी बेहद महत्वपूर्ण तत्व है. हालांकि, वैज्ञानिक अब तक यह नहीं समझ पाए थे कि शुक्र का यह सारा पानी कैसे सौरमंडल में पहुंच गया. शुक्र किसी रेगिस्तान जैसा ग्रह कैसे बन गया, इसकी वजह नहीं पता थी. लेकिन अब शायद वैज्ञानिकों ने उस कारण का पता लगा लिया है. लैबोरेटरी फॉर एटमोस्फियरिक एंड स्पेस फिजिक्स (LASP) के वैज्ञानिकों ने स्टडी के बाद संभावित वजह का खुलासा किया है. यह भी पता चला कि शुक्र से अब भी पानी लीक हो रहा है.
वैज्ञानिकों के अनुसार, सूर्य से करीबी के चलते शुक्र का पानी हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में टूट गया होगा. वातावरण में हाइड्रोजन की सांद्रता बढ़ने से ग्रह बड़ी तेजी से गर्म हुआ होगा. इसके चलते हाइड्रोजन अंतरिक्ष में किसी फ्लो की तरह बाहर निकल गई. लेकिन शुक्र का सारा पानी इस प्रक्रिया के चलते खत्म नहीं हुआ. इसे यूं समझिए. आप कोई बोतल फेंकते हैं तो उसमें पानी की कुछ बूंदें बची रह जाती हैं, शुक्र के साथ भी यही हुआ था. शुक्र पर अब भी कुछ पानी मौजूद है जो ब्रह्मांड में लीक हो रहा है.
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वैज्ञानिक इसके लिए HCO⁺ डिसोसिएटिव रीकॉम्बिनेशन (DR) नाम की प्रक्रिया को जिम्मेदार ठहराते हैं. इस थ्योरी के मुताबिक, जब गैसीय HCO+ इलेक्ट्रॉन्स से प्रतिक्रिया करता है जो एक न्यूट्रल कार्बन मोनोऑक्साइड का अणु और हाइड्रोजन का परमाणु बनता है. इस प्रक्रिया से हाइड्रोजन परमाणु गर्म हो उठता है जो तब ग्रह के पलायन वेग को पार कर सकता है और अंतरिक्ष में जा सकता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, DR प्रक्रिया शुक्र पर हमेशा होती रही है. इसी वजह से शुक्र अब भी पानी खोता जा रहा है.