महाभारत में द्रौपदी एक बेहद किरदार हैं. फिर चाहे वह द्रौपदी का स्वयंवर हो, 5 पतियों से विवाह हो या फिर द्रौपदी का चीर हरण.
बल्कि यूं कहें कि महाभारत युद्ध की बुनियाद ही द्रौपदी के चीर हरण से बनी थी.
यदि कौरवों ने पांडवों के साथ जुआ खेलने का छल ना किया होता तो शायद इतना विनाश ना होता.
कम ही लोग ये बात जानते हैं कि जब द्रौपदी का स्वयंवर प्रारंभ हुआ तो वह योद्धा भी वहां मौजूद था.
ये योद्धा अर्जुन नहीं, बल्कि सूर्यपुत्र कर्ण थे. उनका तेज, कौशल, कवच-कुंडल वाला दिव्य रूप देखकर द्रौपदी हैरान रह गईं थीं.
लेकिन जब उन्हें पता चला कि कर्ण सूत पुत्र है तो उन्होंने कर्ण को स्वयंवर से बाहर करने के लिए कहा.
जबकि उस सभा में कर्ण से ताकतवर कोई नहीं था. उनमें पांचों पांडवों से भी ज्यादा शक्तियां थीं.
इसके बाद अर्जुन ने मछली की आंख में तीर मारकर स्वयंवर जीता और द्रौपदी से विवाह किया.