सिर्फ भूखे रहने का नाम नहीं है रोजा; करने होते हैं ये जरूरी अमल, जानें
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सिर्फ भूखे रहने का नाम नहीं है रोजा; करने होते हैं ये जरूरी अमल, जानें

Ramadan 2024: रमजान में रोजे रखने के अलावा भी कई ऐसे अमल हैं, जिसका पालन करना बहुत जरूरी होता है. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपका रोजा आधा अधूरा रह जाएगा.

सिर्फ भूखे रहने का नाम नहीं है रोजा; करने होते हैं ये जरूरी अमल, जानें

Ramadan 2024: सुबह से शाम तक भूखे रहने से रोजे के अरकान अदा नहीं होते हैं. इसके लिए आपको इसके सारे अरकान अदा करने होते हैं. रोजे का मकसद इंसानों में तकवा पैदा करना है. रोजे का मकसद इबादत के जरिए अल्लाह के करीब आना है. रोजे का मकसद यह भी है कि इंसान अपने ऊपर काबू रखकर नेक रास्ते पर चले. आज हम आपको बताएंगे कि वह कौन से काम हैं जिन्हें करने से इंसान अपना रोजा मुकम्मल कर सकता है. 

1. रोजे के दौरान नमाज पढ़ना जरूरी है. अल्लाह फरमाता है कि जिसने नमाज को तर्क किया गोया के उसने कुफ्र को इख्तियार किया. नमाज के बिना कोई भी अमल मंजूर नहीं होता है. ऐसे में बिना नमाज के नमाज के रोजा रखना बेकार है.  
2. रमजान की रातों में तहज्जुद की नमाजों का भी एहतेमाम करना चाहिए. एक हदीस है कि जिसने रमजान की रातों में सवाब की नियत से तहज्जुद की नमाज अदा की, अल्लाह उसके सारे गुनाह माफ कर देता है.
3. तिलावत कुरानः रमजान के दिनों में ज्यादा से ज्यादा कुरान की तिलावत और अल्लाह का जिक्र करना चाहिए. कुरान को समझकर पढ़ना चाहिए ताकि इसके पैगाम को समझा जा सके.
4. रमजान के दिनों में ज्यादा से ज्यादा सदका और खैरात करना चाहिए. अल्लाह तआला को रमजान में रोजे के दौरान अपने बंदे की सखावत यानी दानशीलता बेहद पसंद है.
5. रमजान में रोजे रखने के साथ कसरत से दुआ भी मांगनी चाहिए. अल्लाह फरमता है कि रोजे की हालत में और खास तौर से इफ्तार के पहले मांगी गई दुआ अल्लाह रद्द नहीं करता है. वह बंदे की दुआ कबूल फरमता है.
6. रमजान रहमत और बरकत के साथ ही तौबा और इस्तगफार का महीना होता है. इसमें कसरत से तौबा और इस्तगफार करना चाहिए, ताकि अल्लाह अपने बंदे के गलतियों और कोताहियों को माफ कर दे.
7. रमजान में अपने से गरीब रोजेदारों, फकीरों, मिस्कीनों अभावग्रस्त लोगों को रोजे खुलवाने की भी बड़ी फजीलत बताई गई है. ऐसा करने से बेहिसाब सवाब हासिल होता है. 
8. रमजान की ताक पांच रातों में शबे कदर की रात की तलाश करने और उसमें इबादत करने का भी बड़ा सवाब बताया गया है. इस एक रात की इबादत को हजार रातों की इबादत से बेहतर बताया गया है.
9. ऐतिकाफ रमजान की एक खास इबादत है, जिसमें दस दिनों तक दुनिया के मामूलात को छोड़कर अकेले में इबादत की जाती है. अगर किसी शख्स के लिए ये मुमकिन हो तो इसे जरूर करनी चाहिए. 
10. रमजान में हर मुसलमान पर फितरा की रकम अदा करना जरूरी होता है. ईद की नमाज के पहले इस रकम को गरीबों के बीच दान कर देना चाहिए.
11. अगर कोई शख्स या रोजेदार इतना अमीर है कि उसके घर में 7.5 तोला सोना और 52.5 तोला चांदी है. या खा-पीकर अपनी जरूरतें पूरी करने के बाद भी पैसे बचे हों तो उसका 2.5 प्रतिशत हिस्सा वह गरीबों में जकात अदा करें.
12. रमजान के महीने में उमरा करने का भी बड़ा सवाब बताया गया है. एक हदीस में है कि रमजान के माह में उमरा करना हज करने के बराबर माना जाता है.

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